Thursday 4 April 2019

चार / सौ. अर्चना चं. शुक्लालाची कविता


येताना चार 
जाताना  चार 
आयुष्यभर साथ चारांची
पैसा प्रतिष्ठा मान सम्मान 
किस्मत नाही काडीची 
कुणी न मोठा, कुणी न छोटा 
'शान' काय मिखायची 
प्यादी सारी नाचणारी 
नियतीच्या पटावरची 
नियतीच्या पटावरची.
...
गूगल के द्वारा अनुवाद के आधार पर -
(मराठी के जानकार इसे शुद्ध करें )

चार आयेंगे 
चार जायेंगे 
जीवन भर चार एक साथ रहेंगे 
धन, प्रतिष्ठा, मान, सम्मान
मुझे कोई आपत्ति नहीं है 
कोई बड़ा नहीं, कोई छोटा नहीं
क्या शान से खाना खाता हूँ ?
सब नाचनेवाले प्यादे हैं 
नियति के हाथों 
नियति के हाथों .
......

कवयित्री - सौ. अर्चना चं. शुक्ल 
या ईमेलवर आपला अभिप्राय पाठवा - editorbejodindia@yahoo.com



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